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Friday, August 3, 2012

ANkhi Boy Sankalp@

ब्राहमणो ने बहुत ही चतुराई से भाषा का ब्राहम्णीकरण किया | इस पर हमने कभी भी गहराई से नही सोचा , अगर सोचा होता तो इस पर हम लोग आज पी. एच .डी कर रहे होते और शोध विषय होता " भाषा का ब्राहम्णीकरण " | एक शब्द का उदाहरण देता हूँ , " वैषणु ढाबा " किन्तु ढाबा के नाम होना चाहिए था "शाकाहारी ढाबा" देखो कितनी चतुराई से प्रचार हो रहा है ब्राहमानवाद का| ऐसे ही हजारों शब्द हमे मिल जायेंगे की कैसे ब्राहमणो ने भाषा का ब्राहम्णीकरण किया | ब्राह्मणो ने हर चीज का ब्राहम्णीकरण किया |ब्राहम्णीकरण का मतलब है कि हर संस्था , हर व्यक्ति और हर सोच्नेवाले तरीके का अगर आप ब्राहम्णीकरण कर दो तो सारी चीजें ब्राहमणो के अनुकूल हो जाती है और कोई भी चीज ब्राह्मणों के विरोध में नही रह्ती | इस तरह उनका सारा विरोध खत्म हो जाता है और सारे लोग मानसिक रुप से विकलांग और ग़ुलाम हो जाते है |
इसके इलावा ऐसा तरीका अपनाया है | उत्तर भारत में अहीर जाती के लोग ओ बी सी की सूची में आते है | जिसको आजकल यादव कहा जाता है | आज से सौ साल पहले कोई भी " अहीर " यादव के नाम से नही जाना जाता था | इस तरह "अहीर" से यादव बन जाने से यादव यदुवंश से जुड़ गया | यदुवंश का सम्बन्ध कृष्ण के साथ है |कृष्ण का सम्बन्ध महाभारत के साथ है और महाभारत का सम्बन्ध ब्रहम्णीकरण के साथ है और ब्राहम्णीकरण का सम्बन्ध ब्राह्मणों और ब्राह्मणवाद के सहित्य के साथ है|

ऐसे लोग जो लोगो में 84 लाख जूनी का प्रचार करते है और नाम भजन देते है और कहते है की ये संसार एक जेल है , सिर्फ़ एक नाम रटने से ही इस संसार के 84 लाख से हमे मुक्ति मिल सक्ती है , इस संसार से वो लोग दुखी है , ओर इस संसार में वो कभी आना नही चाहते और इसी जन्म में वो भग्ती कर कर मुक्ति पाना चाहते है ,
उनके लिए मेरे तरफ़ से हिदायत:

"वो लोग बच्चे पैदा ना करे , ताकि कोई और आत्मा इस जेल रूपी संसार में ना फँसे |"
बहिन मायावती के महेगे जुटे पहेन्ने पर मीडिया और सुवार्नो का खून खौलता हे जिसके कोई साबुत नहीं
मीडिया दिन रात अफवा पर बहेस करती हे
पर जिसका पक्का साबुत हे उस पर नहीं करती हे किउ?
हमारी मायावती २.५ लाख की चैपल पहेने तो इन्हें मिर्ची लगती हे और ये देखो
35 लाख रुपए की लागत से इस शॉल का निर्माण किया गया है। साईं के लिए

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