एक समय ऐसा था जब बाल्मीकि युवक आदमी का काम कबूतर पालना, सूअर पालना, मच्छली पकड़ना था///वो हुक्का पीते थे तथा भुत से पीड़ित का इलाज करते थे इनके पास सभी जाती के लोग भुत का झाडा लगवाने आते थे/////थोड़े लोग बकरी गाय भेंस भी पालते थे////उस समय बाल्मीकि महिलाओं का घर को चलने में बहुत बड़ा योगदान था///वे सारे गावं के घरो का कूड़ा साफ़ करती थी, सारे गावं के गाय भेंस बैल का गोबर साफ़ करती थी///गोबर को टोकरे में भर कर जंगल में फेंकती थी///इस काम के बदले उसे हर घर से रोज एक रोटी थोड़ी सी सब्जी या एक अचार की फांक मिलती थी///
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