जहा भी जाता हूँ वाल्मीकि मंदिर की भर-मार देख कर भयभीत हो जाता हूँ अगर सिर्फ वाल्मीकि की मूर्ति हो तो भय कम भी हो सकता है लेकिन रोज रोज नए वाल्मीकि मंदिर बन रहे हैं और इन नए और पुराने(सभी ) मंदिरों में वाल्मीकि की मूर्ति अकेली नहीं होती///हर वाल्मीकि मंदिर में वाल्मीकि की मूर्ति के साथ राम लक्स्मन सीता लव कुश हनुमान साईं बाबा और सारे हिन्दू भगवान् की मूर्ति होती है////वाल्मीकि या वाल्मीकि मंदिर का विरोध करो तो मुझे गेर-जात का कहेंगे///वाल्मीकि भगत को ज्यादा समझाया तो वो सीर भी फोड़ देगा///विचित्र विडम्बना है///दूर से दूर तक समाधान नजर नहीं आता////अफसोस इस बात का है मूलनिवासियों की एक उप-जाती पढ़ लिख क्र भी हमेशा हिन्दू से प्यार करेगी अर्थात सच से वंचित रहेगी///एक उपाय है वाल्मीकि/ऋषि वाल्मीकि और हिन्दू धर्म से अलग होने का = अपने नाम के चंगी लिखो ///
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