Tarsem Singh Bains
BY::-->> Niranjan Landge ....>>> “ मेरे नाम का जय घोष करने की बजाय रचनात्मक बातोँ के लिए जान की बाजी लगाइए /” ............. डॉ. भीम राव आंबेडकर
….... 17 अगस्त, 1952 को सिध्दार्थ कॉलेज के भवन मेँ दलित समाज के प्रमुख कार्यकर्ताओँ तथा , नेताओँ की बैठक मेँ डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर का भाषन हुआ ! इस बैठक को सम्बोधित करते हुए उन्होने कहाँ था कि ,
“ अछुतोँ के उत्थान के लिए एक आदमी को एक युग मे जितना काम सम्भव है, उतना काम मैने किया है । मेरे कुछ कार्य (रास्ते ) सफल हुए, कुछ असफल हुए होँगे, लेकिन मैने अपने काम को हिम्मत से जारी रखा है । मैने 25 साल मे आप लोगोँ के लिए जो कार्य किया होगा, यह मै गर्व से नही बल्कि, अपने उपर भरोसा रख कर कह रहा हुँ । इस मेँ पुरी सच्चाई है । मेरे कार्य की दिशा तीन तरह की थी ।
( 1 ) पहली बात , सबसे पहले अछुत समाज मे स्वाभिमान की भावना पैदा करना । यह कार्य मुझे इस धरती के मोल की बराबरी का लगा । मेरे राजनीती मे आने से पहले अछुत समाज किस सतह पर था, किस तरह से इनसानियत के हकोँ से दुर था, इस बात का एक उदाहरण मै आपको देना चाहता हुँ । 20 - 25 साल पहले की बात है, जलगाँव मे हर साल ब्राम्हण भोज का रिवाज था । उनका भोजन होने के बाद अछुत लोग उनकी जुठी पत्तलेँ इकट्टा करके कूडादान के ढेर से उठाकर ले जाते थे । कभी उनमे आपस मे उन जुठी पत्तलोँ के लिए झगडे भी होते थे । अछुत समाज इस अवस्था मे था कि, वह पुरी तरह से इन्सानियत के हकोँ से कोसो दुर था । और उसकी ऐसा रहने के प्रति कोई शिकायत भी नहीँ थी । मानवीय पतन की कोई सीमा नही थी । मैने पिछले 25 सालोँ मे लड़ - झगड कर, उन्हेँ पुरी तरह से आजादी नही दिलवाई है, फिर भी मैने , उनमे गहरा स्वाभिमान पैदा किया है । मैने, उनमे न्याय के खिलाफ लडने का बल पैदा किया है । यह कोई आसान बात नही है ।
( 2 ) दुसरी बात, यह है कि उन्हे राजनीतिक हक दिलवाए गए है । अपने समाज को पहले दिल्ली के कैबिनेट मे झाड़ू वाले का भी काम नही मिलता था । आज 25 साल बाद उस मे अछुत समाज को मंत्री बनाया गया है ।
( 3 ) तीसरी बात, शिक्षा के क्षेत्र की है । 25 साल पहले अछुत समाज के लिए शिक्षा के सभी द्वार बंद थे । उन दरवाजोँ को मैने खोल दिया है । अछुत समाज के बच्चोँ को उच्च शिक्षा की सुविधा प्राप्त हो, इस लिए मैने सरकार के साथ लड - झगडकर स्कॉलरशिप्स / फ्रीशिप्स दिलवाए है । जिसे वे अपना कह सकेँ ऐसा प्रगतशील सिध्दार्थ कॉलेज मैने शुरु किया है । "
बाबांच्या २ सुचना आपल्याला या देशातील शासनकर्ती जमात बनण्यास दर्शीविते..म्हणुनच डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर म्हणतात राजकिय सत्ता ही ऐसी एकमात्र गुरुकिल्ली आहे कि ज्याने सर्व समस्यांचे समाधान निघु शकते.. जय भिम
BY::-->> Niranjan Landge ....>>> “ मेरे नाम का जय घोष करने की बजाय रचनात्मक बातोँ के लिए जान की बाजी लगाइए /” ............. डॉ. भीम राव आंबेडकर
….... 17 अगस्त, 1952 को सिध्दार्थ कॉलेज के भवन मेँ दलित समाज के प्रमुख कार्यकर्ताओँ तथा , नेताओँ की बैठक मेँ डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर का भाषन हुआ ! इस बैठक को सम्बोधित करते हुए उन्होने कहाँ था कि ,
“ अछुतोँ के उत्थान के लिए एक आदमी को एक युग मे जितना काम सम्भव है, उतना काम मैने किया है । मेरे कुछ कार्य (रास्ते ) सफल हुए, कुछ असफल हुए होँगे, लेकिन मैने अपने काम को हिम्मत से जारी रखा है । मैने 25 साल मे आप लोगोँ के लिए जो कार्य किया होगा, यह मै गर्व से नही बल्कि, अपने उपर भरोसा रख कर कह रहा हुँ । इस मेँ पुरी सच्चाई है । मेरे कार्य की दिशा तीन तरह की थी ।
( 1 ) पहली बात , सबसे पहले अछुत समाज मे स्वाभिमान की भावना पैदा करना । यह कार्य मुझे इस धरती के मोल की बराबरी का लगा । मेरे राजनीती मे आने से पहले अछुत समाज किस सतह पर था, किस तरह से इनसानियत के हकोँ से दुर था, इस बात का एक उदाहरण मै आपको देना चाहता हुँ । 20 - 25 साल पहले की बात है, जलगाँव मे हर साल ब्राम्हण भोज का रिवाज था । उनका भोजन होने के बाद अछुत लोग उनकी जुठी पत्तलेँ इकट्टा करके कूडादान के ढेर से उठाकर ले जाते थे । कभी उनमे आपस मे उन जुठी पत्तलोँ के लिए झगडे भी होते थे । अछुत समाज इस अवस्था मे था कि, वह पुरी तरह से इन्सानियत के हकोँ से कोसो दुर था । और उसकी ऐसा रहने के प्रति कोई शिकायत भी नहीँ थी । मानवीय पतन की कोई सीमा नही थी । मैने पिछले 25 सालोँ मे लड़ - झगड कर, उन्हेँ पुरी तरह से आजादी नही दिलवाई है, फिर भी मैने , उनमे गहरा स्वाभिमान पैदा किया है । मैने, उनमे न्याय के खिलाफ लडने का बल पैदा किया है । यह कोई आसान बात नही है ।
( 2 ) दुसरी बात, यह है कि उन्हे राजनीतिक हक दिलवाए गए है । अपने समाज को पहले दिल्ली के कैबिनेट मे झाड़ू वाले का भी काम नही मिलता था । आज 25 साल बाद उस मे अछुत समाज को मंत्री बनाया गया है ।
( 3 ) तीसरी बात, शिक्षा के क्षेत्र की है । 25 साल पहले अछुत समाज के लिए शिक्षा के सभी द्वार बंद थे । उन दरवाजोँ को मैने खोल दिया है । अछुत समाज के बच्चोँ को उच्च शिक्षा की सुविधा प्राप्त हो, इस लिए मैने सरकार के साथ लड - झगडकर स्कॉलरशिप्स / फ्रीशिप्स दिलवाए है । जिसे वे अपना कह सकेँ ऐसा प्रगतशील सिध्दार्थ कॉलेज मैने शुरु किया है । "
बाबांच्या २ सुचना आपल्याला या देशातील शासनकर्ती जमात बनण्यास दर्शीविते..म्हणुनच डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर म्हणतात राजकिय सत्ता ही ऐसी एकमात्र गुरुकिल्ली आहे कि ज्याने सर्व समस्यांचे समाधान निघु शकते.. जय भिम
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