अब बात आती है मेरे वाल्मीकि समाज की ( चूरे,मेहतर,मजहबी) समाज की मेरे भाईओं और बहनों की :
हमे उप जातियों में बांटा ही इस वजह से गया की हम कभी एक ना हो सके कोई न कोई तो ब्राह्मणवाद mein में फसा ही रहेगा ,सब कभी एक नही हो पायेंगे और राज सत्ता ब्राह्मणों गांधी में रहेगी और हम देश के सबसे गरीब वर्ग में रहेंगे |मेरे इस समाज के भाईओं का विकसित ना हो पाना और चमारो का विकसित हो जाना कमी कहाँ है ? कमी है सोच में कमी है हममे , सबसे पहली बात हमारा ये समाज मनुवाद की jaal में फंसा हुआ है पहले से और अब भी जबकि चमारो ने बाबा साहिब का रास्ता अपना लिया था BUDHISM . दूसरा कारण है ये समाज जल्दी ही किसी के बहकावे में आजाता है खुद नही समझ रहा क्या सही है क्या गलत है बस लडाई करो अपने ही भाईओं से आरक्षण के पीछे ?एक सचाई जो जननी बहुत जरूरी है :वाल्मीकि समाज को ( चूरे,मेहतर,मजहबी) समाज को कसी जोड़ा गया ऋषि वाल्मीकि से तो बात ये है की सबसे जायदा शातिर दिमाग वाला इंसान जो कभी दलित समाज का भला नही चाहता था गांधी :आजादी से पहले हिन्दुइस्म के भेदभाव से दुखी होकर इस समाज ने इसाई और मुस्लिम धर्म अपनाना शुरू कर दिया और चमारो और कुछ और जातिओं ने बुधिस्म बाबा साहिब के कहने पर , अब मनुवाद बुधिस्म वाले रास्ते को जो की तर्क पर सोचते हैं नही तोड़ सकता था तो उसने निशाना साधा मेरे इस भोले भाले समाज पर |सम्मान का लालच दे दिया ,जो की आजतक नही मिला GANDHI और RSS ने मिलकर एक चाल चली इन्होने ने पूरे देश में वाल्मीकि मंदिर स्ताफित कर दिए और मेरे इस समाज को रामायण लिखने वाले की संतान कह दिया हमारा ये समाज खुश हो गया की हम तो उस महारिशी की संतान है और फंसा रहा हिन्दुइस्म में आज भी फस हुआ है और ये नही समझ नही रहा अपनी ताकत का इस्तेमाल किसके पक्ष में करना चाह्हिये | आपको पता होना चहिये जब बाबा साहिब गोल मेज समेलन में गये थे तो गांधी बिरला मंदी के पास एक वाल्मीकि मंसिर में रहता था और जाहरू पोंचा लगता था और वहाँ के १ लाख लोग मेरे इस समाज के जो थे उन्हें ये कहता था की वो उनको नेता था आंबेडकर नही ये सब गांधी और ब्राह्मणवाद की चाल थी और आज भी हमारे ये लोग बस झारू पोंचा लगते हैं नवरात्रे में जय माता दी करते है जब की ऐसे कुछ नही है ये सब वो रजा महराजा हुए है आर्यन्स के जिन्होंने ने शुद्रो से युद्ध किया था अब बात आती है PIL की OP SHUKLA की उसने ये केस इसलिए ही किया है की ब्राह्मणवाद में fanse रहो और बाबा साहिब के रास्ते पर मत चलो लड़ते रहो एक दुसरे से बस... और राजसत्ता कभी भी हासिल न करो | इसने सबकी आरक्षण खतम करवा देनी है देख लेना |आप BSP को गलत कहते हो तो क्या गांधी परिवार सुखी रखेगा या बीजेपी(हिन्दू ) परिवार जिसने आजतक शोषण के सिवा कुछ नही किया | चलो अगर आप अपनी पार्टी बना लेते हो BSP कब से बनी हुई है आज तक राजसत्ता में आई है इसका कारण यही है हम सबकी मनुवादी सोच हमे इतिहास ही नही मालूम मायावती सर्कार ने दलित समाज का भला किया है अब आप ये चाहते है अकेले वाल्मीकि समाज का भला करे तो ये कसी हो सकता है मेने उस दिन बताया था उप में क्या क्या सुधर हुए हैं | आप एक वाल्मीकि पार्टी बनोगे कब फोंचोगे राज सत्ता में बता सकते हैं ? कभी भी नही सोच के देख लो | यही चाहता है ब्रह्मण RSS मनुवाद समाज उसका उपजातियों में बांटने के पीछे भी यही मकसद था की हम एक दुसरे से ही लड़के मर jaaye बाबा साहिब और कांशीराम जी के नक़्शे कदम पर चलो उनकी ऊँगली इशारा करती है संसद की तरफ की ये हमारा है .. आयेई इस बार राक्षश हावी हो जाए देवताओं पर समझो कोण है दुश्मन क्या है हमारा इतिहास क्या है हम क्या है इस देश के राजा है हम बस जागरूक होना है ब्राह्मणवाद से बहर निकलना है
हमे उप जातियों में बांटा ही इस वजह से गया की हम कभी एक ना हो सके कोई न कोई तो ब्राह्मणवाद mein में फसा ही रहेगा ,सब कभी एक नही हो पायेंगे और राज सत्ता ब्राह्मणों गांधी में रहेगी और हम देश के सबसे गरीब वर्ग में रहेंगे |मेरे इस समाज के भाईओं का विकसित ना हो पाना और चमारो का विकसित हो जाना कमी कहाँ है ? कमी है सोच में कमी है हममे , सबसे पहली बात हमारा ये समाज मनुवाद की jaal में फंसा हुआ है पहले से और अब भी जबकि चमारो ने बाबा साहिब का रास्ता अपना लिया था BUDHISM . दूसरा कारण है ये समाज जल्दी ही किसी के बहकावे में आजाता है खुद नही समझ रहा क्या सही है क्या गलत है बस लडाई करो अपने ही भाईओं से आरक्षण के पीछे ?एक सचाई जो जननी बहुत जरूरी है :वाल्मीकि समाज को ( चूरे,मेहतर,मजहबी) समाज को कसी जोड़ा गया ऋषि वाल्मीकि से तो बात ये है की सबसे जायदा शातिर दिमाग वाला इंसान जो कभी दलित समाज का भला नही चाहता था गांधी :आजादी से पहले हिन्दुइस्म के भेदभाव से दुखी होकर इस समाज ने इसाई और मुस्लिम धर्म अपनाना शुरू कर दिया और चमारो और कुछ और जातिओं ने बुधिस्म बाबा साहिब के कहने पर , अब मनुवाद बुधिस्म वाले रास्ते को जो की तर्क पर सोचते हैं नही तोड़ सकता था तो उसने निशाना साधा मेरे इस भोले भाले समाज पर |सम्मान का लालच दे दिया ,जो की आजतक नही मिला GANDHI और RSS ने मिलकर एक चाल चली इन्होने ने पूरे देश में वाल्मीकि मंदिर स्ताफित कर दिए और मेरे इस समाज को रामायण लिखने वाले की संतान कह दिया हमारा ये समाज खुश हो गया की हम तो उस महारिशी की संतान है और फंसा रहा हिन्दुइस्म में आज भी फस हुआ है और ये नही समझ नही रहा अपनी ताकत का इस्तेमाल किसके पक्ष में करना चाह्हिये | आपको पता होना चहिये जब बाबा साहिब गोल मेज समेलन में गये थे तो गांधी बिरला मंदी के पास एक वाल्मीकि मंसिर में रहता था और जाहरू पोंचा लगता था और वहाँ के १ लाख लोग मेरे इस समाज के जो थे उन्हें ये कहता था की वो उनको नेता था आंबेडकर नही ये सब गांधी और ब्राह्मणवाद की चाल थी और आज भी हमारे ये लोग बस झारू पोंचा लगते हैं नवरात्रे में जय माता दी करते है जब की ऐसे कुछ नही है ये सब वो रजा महराजा हुए है आर्यन्स के जिन्होंने ने शुद्रो से युद्ध किया था अब बात आती है PIL की OP SHUKLA की उसने ये केस इसलिए ही किया है की ब्राह्मणवाद में fanse रहो और बाबा साहिब के रास्ते पर मत चलो लड़ते रहो एक दुसरे से बस... और राजसत्ता कभी भी हासिल न करो | इसने सबकी आरक्षण खतम करवा देनी है देख लेना |आप BSP को गलत कहते हो तो क्या गांधी परिवार सुखी रखेगा या बीजेपी(हिन्दू ) परिवार जिसने आजतक शोषण के सिवा कुछ नही किया | चलो अगर आप अपनी पार्टी बना लेते हो BSP कब से बनी हुई है आज तक राजसत्ता में आई है इसका कारण यही है हम सबकी मनुवादी सोच हमे इतिहास ही नही मालूम मायावती सर्कार ने दलित समाज का भला किया है अब आप ये चाहते है अकेले वाल्मीकि समाज का भला करे तो ये कसी हो सकता है मेने उस दिन बताया था उप में क्या क्या सुधर हुए हैं | आप एक वाल्मीकि पार्टी बनोगे कब फोंचोगे राज सत्ता में बता सकते हैं ? कभी भी नही सोच के देख लो | यही चाहता है ब्रह्मण RSS मनुवाद समाज उसका उपजातियों में बांटने के पीछे भी यही मकसद था की हम एक दुसरे से ही लड़के मर jaaye बाबा साहिब और कांशीराम जी के नक़्शे कदम पर चलो उनकी ऊँगली इशारा करती है संसद की तरफ की ये हमारा है .. आयेई इस बार राक्षश हावी हो जाए देवताओं पर समझो कोण है दुश्मन क्या है हमारा इतिहास क्या है हम क्या है इस देश के राजा है हम बस जागरूक होना है ब्राह्मणवाद से बहर निकलना है
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