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Sunday, October 16, 2011

500 MAHAR
भीमा नदी के तट पर बसा गाँव भीमा-कोरेगांव,पुणे(महाराष्ट्र)
01 जनवरी 1818 का ठंडा द...िन. दो सेनाएं आमने -सामने .
28000 सैनिकों सहित पेशवा बाजीराव II विरूद्ध बॉम्बे नेटिव
लाइट इन्फेंट्री के 500 महार सैनिक .
ब्राह्मण राज बचाने की फिराक में पेशवा तथा दूसरी
ओर पेशवाओं के पशुवत अत्याचारों से बदला चुकाने
की फिराक में गुस्से से तमतमाए महार.
घमासान युद्ध और ब्रह्मा के मुँह से जनित पेशवा की शर्मनाक पराजय|
सब से पहले उन ५०० महार(पूर्वज) नमन करो ...क्यों...?
१) उस हार के बाद पेशवाई खतम हो गयी थी|
२) अंग्रेजो को इस भारत देश की सत्ता मिली|
३) अंग्रेजो ने इस भारत देश में शिक्षण का प्रचार किया,
जो हजारो सालोंसे बहुजन समाज के लिए बंद था|
४) महात्मा फुले पढ़ पाए और इस देश की जातीयता समज पाऐ|
५) अगर महात्मा फुले न पढ़ पाते तो शिवाजी महाराज की समाधी
कोण ढूँढ निकलते|
६) अगर महात्मा फुले न पढ़ पाते तो सावित्रीबाई कभी इस देश की
प्रथम महिला शिक्षिका न बन सकती थी|
७) अगर सावित्रीबाई न पढ़ पाई होती तो इस देश की महिला कभी न
पढ़ पाती|
८) शाहू महाराज आरक्षण कभी न दे पाते|
९) डॉ.बाबासाहब कभी न पढ़ पाते|
१०) अगर १ जनवरी १८१८ को ५०० महार सैनिकों ने २८००० ब्राम्हण(पेशवा) को
मार न डाला होता तो... !!!
आज हम लोग कहापे रहते थे ...!!!

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