SUKH PAL DHINGAN

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Saturday, August 6, 2011

प्रचंड नाग साथियों भारतीय इसाइयों में मूलतः मूलनिवासी लोगों की भरमार है ।सभी चर्चों में ब्राह्मणो से परिवर्तित इसाइयों का कब्जा है जो सारा विदेशी धन अपने मजे मारने के लिए रखते हैं । थोड़ा बहुत वितरित करते हैं । निम्न वर्गों की लड़कियों और महिलाओं का इस्तेमाल करते हैं । आप देखिये अक्सर निम्न जाती की औरतें नन बनती हैं । ब्राह्मणों का सारा सिस्टम वहाँ घुसाया जा चुका है । महाराष्ट्र के अहमदनगर में महार-मांग लोगों से परिवर्तित इसाइयों की भरमार है । उन्हीं लोगों के बीच से एक ईमानदार आदमी " बालासाहेब गायकवाड " ने "ख्रीस्ती महार' नाम की एक किताब लिखा है उसमें यह सब कच्चा चिट्ठा सामने आया है । लेखक बहुत जानकार तथा ईमानदार आदमी है । सारे दुखों और पीड़ा से गुजरकर उसने यह किताब लिखी है । जगह जगह उसकी पीड़ा दिखाई पड़ती है । अंत में वह कहता है बाबासाहेब के मार्ग और अपने बंधुओं से जुडने में ही मुक्ति और स्वाभिमान है । बाबासाहेब का मार्ग ही श्रेष्ठ मार्ग है । वहीं मुक्ति संभव है ।

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