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Tuesday, February 5, 2013

Sachin Gholap 
Niranjan Landge गोलमेज कॉन्फरन्स से बाबासाहेब ने जो फल लाये थे उसमे एक उन्होने हमे वोट का अधिकार लेके आये थे । और जैसे ही बाबासाहेब भारत देश मे आये तो उन्होने हमारे समाज संबोधित करते हुये कहते है कि "जावो और अपने घर के दिवारोँ पर लिखके रखो कि हमे इस देश के हुक्मरान बनना है । बाबासाहेब के इस वाक्य पर मनुवादी मानसिकता से पिढीत मोहनदास का लक्ष्य जा चुका और उसने सोचा कि, बाबासाहेब ने ईस समाज को वोट का अधिकार क्योँ दिया है । और बाबासाहेब उसी समाज से संबोधीत कहते हुये ऐसे क्योँ कहते कि, हमे ईस देश का हुक्मरान बनाना है । तब जाके गांधी के गंजे दिमाक मे ये बात आ चुकी कि, मतलब बाबासाहेब कि बात अगर उनके समाज ने मान ली तो निश्चीत रुपसे काँग्रेस से नंगा होणा पढेगा । इसी डर के कारण गांधी ने बाबासाहेब ने स्वतंत्र मतदार संघ कि जो माँग कि थी उसके खिलाफ गांधी खडा रह गया । और उस गांधी ने बाबासाहेब का और हमारे समाज के भलाई के प्रति बाबासाहेब ने जो हक्क लेकर आये थे । उसी काँग्रेस ने खत्म कर दिया ।
Sachin Gholap 
Niranjan Landge गोलमेज कॉन्फरन्स से बाबासाहेब ने जो फल लाये थे उसमे एक उन्होने हमे वोट का अधिकार लेके आये थे । और जैसे ही बाबासाहेब भारत देश मे आये तो उन्होने हमारे समाज संबोधित करते हुये कहते है कि "जावो और अपने घर के दिवारोँ पर लिखके रखो कि हमे इस देश के हुक्मरान बनना है । बाबासाहेब के इस वाक्य पर मनुवादी मानसिकता से पिढीत मोहनदास का लक्ष्य जा चुका और उसने सोचा कि, बाबासाहेब ने ईस समाज को वोट का अधिकार क्योँ दिया है । और बाबासाहेब उसी समाज से संबोधीत कहते हुये ऐसे क्योँ कहते कि, हमे ईस देश का हुक्मरान बनाना है । तब जाके गांधी के गंजे दिमाक मे ये बात आ चुकी कि, मतलब बाबासाहेब कि बात अगर उनके समाज ने मान ली तो निश्चीत रुपसे काँग्रेस से नंगा होणा पढेगा । इसी डर के कारण गांधी ने बाबासाहेब ने स्वतंत्र मतदार संघ कि जो माँग कि थी उसके खिलाफ गांधी खडा रह गया । और उस गांधी ने बाबासाहेब का और हमारे समाज के भलाई के प्रति बाबासाहेब ने जो हक्क लेकर आये थे । उसी काँग्रेस ने खत्म कर दिया ।

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