राजेश कुमार अहिरवार आप लेख बहुत अचछा है////कमी हम में ही है ...... हम हिन्दू के साथ रह कर कुछ गलत बात सीख गए जिस तरह हिन्दू अनुसूचित जाति से नफरत करता है उसी तरह हम भी स्वर्ण वर्ग की तरह अपने ही भाई से नफरत करते है बुध और बाबा साहेब का साहित्य पढने के बाबजूद हम खुद के अंदर भंगी,चमार, महार, बैरवा और धोबी खोजते है///// जबकि हमें अनुसूचित जाति के हर व्यक्ति से मतलब होना चाहिए////हिन्दू की तरह उप-जाति की जड़ में नहीं जाना चाहिए////हम ने एस सी की उप-जाति की आपस की नफरत को नहीं छोड़ा तो स्वर्ण वर्ग से अपना राजपाट लेना सिर्फ हवाई किले बनाने जैसा ही होगा ///
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