SUKH PAL DHINGAN

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Tuesday, March 13, 2012

Paul Saab
एक  बार राष्ट्रपीता  ज्योतीबा  राव  फुले जी (दलीतो , औरतो  के  लीये  पहला  स्कूल  खोलने  वाले )  अपने  खेत  में  बैठे  कुछ  सोच  रहे  थे  तभी  उनकी  पत्नी  सावीतरी  बाई फुले (देश  की  सबसे  पहली  WOMEN TEACHER) ने  उनसे  पुछा के  "आप  क्या  सोच  रहे  हो ?" तभी  ज्योतीबा  राव  फुले जी  ने  वहाँ  पे  पड़ा  मक्की (CORN) के  बीज  को  उठाया  और कहा  फसल  उगाने  के  लीये  क्या  करना  पड़ता  है  तो  सावीतरी  जी  ने सरल  सा  जवाब  दीया  के  "इस  बीज  को  ज़मीन  में  बोना  पढ़ेगा  पानी  देना  पड़ेगा  फीर  कुछ  समय  बाद  फसल  तयार  होगी ". तब  फुले  जी थोडा  मुस्कुराये  और  कहा  "इस  बीज  को  फसल  तयार  करने के लीये  पहले  अपने  अस्तीत्व  को  ज़मीन  में  गवाना  पड़ेगा  तब  जाकर  फसल  के  लीये  एक पौधा  बनेगा  फीर  फसल  से तो  इस  बीज  का  योगदान  अनमोल  है ." मैं  भी  अपने  समाज  के  लीये  अपना  अस्तीत्व  गवाना  चाहता  हूँ . तब   सावीतरी  जी  ने  बीना  देर  कीए  कहा  की   इस  काम  में  मैं  भी  आपके  साथ  अपना  अस्तीत्व  गवाने  के  लीये  तयार  हूँ .... ये  हैं  हमारे  महान्पुरुष और  उनकी सोच  जीस  वजह  से  उन्हें  आज  भी  याद  कीया  जाता  है  मगर  क्या  याद करके  हमारा  काम   ख़तम  हो  जाता  है ? हम  उनके  संघर्ष  की  फसल  आज  खा  रहे  हैं  हम  क्या  कर  रहे  हैं  उनके  लीये ... सोचो  जरा .. JAI MULNIWASI BHARAT MUKTI MORCHA.

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