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Wednesday, December 7, 2011

Atul Patil ‎"कही हम भूल न जाये"

"व्यक्तिगत स्तरपर मै यह स्पष्ट कहना चाहता हु की मै नहीं मानता की इस देश में किसी विशेष संस्कृति के लिए कोई जगह है, चाहे वह हिन्दू संस्कृति हो, या मुस्लिम संस्कृति, या कन्नड़ संस्कृति, या गुजरती संस्कृति | ये ऐसी चीजे है, जिन्हें हम नकार नहीं सकते, पर उनको वरदान नहीं मानना चाहिए,  

  बल्कि अभिशाप की तरह मानना चाहिए, जो हमारी निष्टा को डिगाती है और हमें अपने लक्ष्य से दूर ले जाती है | यह लक्ष्य है, एक ऐसी भावना को विकसित करना की हम सब भारतीय है|"
 -- बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर
चाहे वह हिन्दू संस्कृति हो, या मुस्लिम संस्कृति, या कन्नड़ संस्कृति, या गुजरती संस्कृति | ये ऐसी चीजे है, जिन्हें हम नकार नहीं सकते, पर उनको वरदान नहीं मानना चाहिए,  

  बल्कि अभिशाप की तरह मानना चाहिए, जो हमारी निष्टा को डिगाती है और हमें अपने लक्ष्य से दूर ले जाती है | यह लक्ष्य है, एक ऐसी भावना को विकसित करना की हम सब भारतीय है|"
 -- बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर

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