SUKH PAL DHINGAN

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Monday, December 5, 2011

Ashish Aku
हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार ,पर्दों की तरह हिलने लगी
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क ,हर गली में,हर नगर ,हर गांव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा करना मेरा मकसद नहीं ,
सारी कोशिश हैं कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग ,लेकिन आग जलनी चाहिए III
---------दुष्यंत कुमार


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