SUKH PAL DHINGAN

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Wednesday, October 12, 2011

very very very imp

Tarsem Singh Bains Nitu Kedar Meshram बाबा साहेब के औरंगाबाद के घर में शिव राम आनंद राव जाधव नाम का एक किशोर काम करता था. ... घर के छोटे मोटे काम करता था...एक दिन जब माई ने उसे बाबा साहेब के भोजन के बाद उन की थाली लाने के लिए कहा ..... उसने देखा की बाबा साहेब की थाली में थोड़ी बाजरे की रोटी और मेथी का साग बचा हुआ था .... उसे बाबा साहेब की थाली का खाना फेंकना ठीक नहीं लगा. .. उसने उसमे से १ निवाला मुँह में डाला ही था की बाबा साहेब ने उसे देख लिया ....दूसरे ही क्षण बाबा साहेब चिल्लाते हुए उस के पास गए और शिव राम के गाल पर एक जोर का थप्पड़ रसीद किया....
" मूर्ख.....थाली का झूठा खाता है..." बाबा साहेब ने गर्जना की ..... बालक की आँखों से आंसू बह चले ... कुछ समझ नहीं पाया की क्या गलत हुआ ..... इतन घबराया की अगले दो दिन काम पर नहीं जा पाया ..... बाबा साहेब ने कॉलेज से किसी को भेजा उसे और उसके पिता को बुलाने के लिए. ...... दोनों बाबा साहेब के सामने पहुंचे .... बाबा साहेब ने बहुत ही प्रेम से पूछा -"क्यों आनंदा ..... शिव राम काम पे क्यों नहीं आ रहा है???" ...” बाबा .... वो कह रह रहा है, आपने उसे थप्पड़ मारा...." .. . बाबा साहेब ने कहा .... " अरे ..... पर उस से पूछा कि मैने उसे क्यों मारा ? " ……... आनंद अनुत्तरित .....

" मेरी थाली से झूठा खा रहा था .... अरे ... दूसरों की थाली का …… ..और कितने दिन झूठा खाओगे तुम लोग ???? मैं क्यों इतनी जद्दो जेहेद कर रहा हू ... कष्ट कर रहा हूँ .... खाना सोना सब हराम कर रखा है .... क्या इस लिए कि तुम लोग दूसरों का झूठा खाओ ...... उतरा हुआ पहनों .... तुम लोगो को इंसान का दर्जा मिले ... इस लिए मेरी सारी लड़ाई है ..... उस थप्पड़ के बाद अब शिव राम कभी किसी की थाली का झूठा खाने के बारे में सोचेगा भी नहीं / "
शिवराम ने तो उस दिन के बाद झूठा खाना छोड़ दिया …… दोस्तों ..... पर हम कब हिंदुओं की झूठन त्यागेंगे ..... उन के सारे त्यौहार .... उन के समान संस्कार ... आडम्बर ...... दिखावा. ..... मंगल सूत्र .... सिन्दूर ..... व्रत ...... उपवास …... ये सारी झूठन हम बौद्ध कब त्यागेंगे ...... बाबा साहेब ने हमे जो सोने का ग्रास दिया है ..... वो हम क्यों नहीं हजम कर पा रहे ....... क्यों भटक रहे हैं अभी भी उन अँधेरी गलियों में ..... जहाँ से बाबा साहब दीप स्तंभ बन कर हमें बाहर निकाल लाए थे ........ बाबा साहब ने अपना जीवन हम लोगो के लिए अर्पित कर दिया ..... ताकि हमारें जीवन में नयी सुबह हो सके .... पर हम अपने ही बाप के साथ गद्दारी , हराम खोरी क्यों कर रहे हैं …..... और आगे कब तक करेंगे......????
जवाब अपेक्षित है दोस्तों ....... मुझे और शायद बाबा साहेब को भी......

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