नास्तिकता मनुष्य के लिए कोई सरल स्तिथि नहीं है कोई भी मुर्ख अपने आप को आस्तिक कह सकता है, इश्वर की सत्ता स्वीकार करने के लिए किसी बुद्धिमता की जरुरत नहीं पड़ती, लेकिन नास्तिकता के लिए बड़े साहस और दिरिढ़ विश्वाश की जरुरत पड़ती है, यह स्तिति उन्ही लोगो के लिए संभव है जिनके पास तर्क तथा बुद्धि की शक्ति हो ...पेरियार राम स्वामी नेयकर जी
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