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Wednesday, October 26, 2011

Dilip Kumar Janjal
भारत के मूल निवासी राजा बली की कार्तिक अमावस्या के दिन अर्थात दिवाली के ही दिन ह्त्या के बाद ब्राह्मणों दीये जलाए गए थे यह प्रथा आज तक जारी है ! कार्तिक अमावस्या के दिन तथागत बुद्ध के प्रिय शिष्य ,उनका बाँयां हाथ कहे जाने वाले धम्म सेनापती ,वरिष्ट भिक्खु , भदंत महामोद्ग्लायन की षडयंत्र रचकर ह्त्या की गई थी ! तैर्थिकों की मदद ब्राह्मणों ने यह घ्रणित कार्य किया था ! बौद्ध लोगों को इस दिन मातम मनाना चाहिए , तथागत बुद्ध को भी यह समाचार सुनकर (सम्बोधि प्राप्ति के बाद पहली और अंतिम बार ) तीव्र संवेग जागा था ! बुद्धगया ,सारनाथ , लुम्बिनी , श्रावस्ती आदि बौद्ध तीर्थस्थानों पर इस दिन रोशनी नहीं की जाती ! वर्ण व्यवस्था के अनुसार यह वैश्योंका त्यौहार है ! पुष्य मित्र शुंग द्वारा महान बौद्ध सम्राट ब्रह्द्रथ मौर्य की ह्त्या के बाद साकेत में उसका राज्याभिषेक होने की खुशी में घरों को सजाया जाता है और आतिशबाजी की जाती है ! तो क्या इतना जानकर भी हमें दिवाली मनानी चाहिए या नहीं ?

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