SUKH PAL DHINGAN

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Saturday, August 20, 2011

प्रिय मीत्रों क्या आप जानते है अन्ना हज़ारे ने जो जनलोकपाल बिल लाया है क्या आप ने उसे पढ़ा है याफिर सिर्फ मीडिया जो दिखा रहा है और अन्ना की टीम जो बोल रही है । उसके ऊपर आप विश्वास रख कर अन्ना हज़ारे को सपोर्ट तो नहीं कर रहे है । जन लोकपाल बिल जो अन्ना हज़ारे की टीम ने बनाया वो मैंने पढ़ा है । ये और ये बिल सिर्फ जनता की दिशा भूल करता है ।... और भारतीय सविधान की खिल्ली उड़ता है । वो कैसे ? मई आप को पॉइंट तो पॉइंट बताने जा रहा हु
1 अन्ना हज़ारे ने कहा है की इस्स के अंडर न्याय पालिका आणि चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के जज आने चाहिए , मित्रो हमारे सविधान का ढ़ाचा ही इसी मुद्दे पर है । न्याय पालिका एक स्वतंत्र पालिका है । उनके अलग अधिकार है । उनकी शक्ति अलग है । वो किसी भी पार्टी या फिर राजनीति याफिर सरकार के अंडर नहीं अति है । और उसे लोकपाल के डरे मे लाना खतरनाक है । अन्ना हज़ारे को ये भी नहीं पता के न्याय पालिका का के खिलाफ अगर कोई शिकायत लोकपाल मे करेगा तो । लोकपाल जोभी सुनवाई करेगी उसके ऊपर कारवाई भी न्याय पालिका काही करेगी ऐसा अन्ना हज़ारे के लोकपाल बिल मे लिखा है । लेकिन मित्रो ऐसा होही नहीं सकता ये परस्पर विरोधा भास है । जिस पर इल्ज़ाम वही सुनवाई करेगा । क्यू की जनलोकपाल सिर्फ इंवेस्टिगेशन कर सकता है कारवाई नहीं ।
2 अन्ना का जनलोकपाल कहता है की संसद के सांसदो को भी इसके डरे मे लाना होगा । मित्रो हमारी संसदीय एक अलग प्रणाली है उसकी शक्ति अलग है । और हमारा देश संसदीय प्रणाली से चलता है । जहा पूरे देश मीसे चुने हुये जनता के प्रतिनिधि बैठ ते है । संसद किसी के अंडर नहीं आ सकती क्यू की संसद का आद्यक्ष स्पीकर होता है । संसद मे जोभी होता है उसके ऊपर कारवाई के लिए स्पीकर को अधिकार दिये हुये है । अगर हम संसद को लोकपाल के अंडर लाएँगे तो संसद को क्या अर्थ रहेगा स्पीकर किस काम का ये तो हमारी घटना के साथ खिलवाड़ होगा । अगर कोई भी संसद के खिलाफ जाता है और लोकपाल मे शिकायत करता है तो उसके ऊपर कारवाई के लिए संसद द्वारा चुनी हुई टीम ही फैसला लेगी ।ऐसा अन्ना के लोकपाल बिल मे लिखा है । मित्रो ये बिलकुल विरोधाभास है । जो गुनहगार है वही खुद को सजा कैसे दे सकता है ।
3 अन्ना जी के लोकपाल मे बताया गया है की इस्स मे हमारे पंतप्रधान को भी लाना चाहिए । मित्रो बताना चाहूँगा हम संसदीय लोकशाही से चलते है । पंतप्रधान सिर्फ संसद को जवाबदेह है नाकी मीडिया या फिर जनता को । पंतप्रधान देशकी जनता को इंडिरेक्त्ली जवाब देह होते है ।जनताने चुने हुये प्रतिनिधि को पंतप्रधान अपना जवाब देते है । स्पीकर को जवाब देते है । मीन्स जनता को जवाब देते है । अगर पंतप्रधान के ऊपर कारवाई करनी है तो लोकपाल सिर्फ इन्वेस्त्तिगेशन करेगा और जब कारवाई की बात आएगी तो वही संसद की टीम अपना फैसला सुनाएगी ये विरोधाभास नहीं तो क्या है ? गुनहगार क्या खुद को सजा सुनाएगा ?
4 अन्ना जी के लोकपाल मे कहगाया है की सारे सरकारी कर्मचारी इस्स के डायरेमे आने चाइए । मै अन्ना जी को बताना चाहूँगा की हम दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी वाला देश है । अगर ऐसा हुआ तो 100% सरकारी कार्यालयो के खिफ लोकपाल मे लोग शिकायत करेंगे । भ्रष्टाचार अज्ज 100% ऑफिस मे फैला हुआ है । और उनके खिलाफ जो शिकायल आएगी वो लाखोमे नहीं कांसे कम 1000000000 की संख्यामे होगी और इनके खिलाफ अगर इन्वैस्टिगेशन करना है तो उसके लिए और सरकारी लोगोकों रखना होगा । और कारवाई के लिए अलग टीम बनानी होगी । क्यू की अन्ना का लोकपाल कहता है की लोकपाल सिर्फ इन्वैस्टिगेशन करेगा कारवाई नहीं । लेकिन इतने लोग बिना पैसो के 1 दिन भी अन्ना के साथ कम नहीं करेगे । उनको सरकार की तरफ से पैसे देने होंगे । और सरकार पर और पैसो का दबाव आयेगा और सरकार को इनकी आपूर्ति करने के लिए टैक्स बढ़ाने होंगे याफिर और वर्ल्ड बैंक से लोन लेना होगा । इस्स से देश की आर्थिक हालत बिगड़ जाएगी । और लोगोका न्यायिक व्यवस्थासे विश्वास उड़ने का भी खतरा है । क्यू की हर कोई लोकपाल के पास जाएगा ये सच हम नहीं जुतला सकते फिर लोकपाल कहेगा की हुमे इस्स के लिए कारवाई के लिए कोर्ट जाना चाहिए लेकिन पेहले ही कोर्ट मे करोड़ो मुकदमे चलराहे है और करोड़ो इस्स मे और जुड़ गए तो जिन का रिज़ल्ट जल्दी आना चाहिए उनका रिज़ल्ट आने मे और देरी होगी और अगर इनको जल्द सुलजाना है तो सरकार को और न्यायाधीशोकी नियुक्ति करनी होगी और न्याधीश बिना सरकारी पगार लिए तो काम करने से रहा । फिर सरकार पर पैसे का बोज गिएगा इस्स का नतीजा टैक्स बढ़ेगा मेहंगाई बढ़ेगी ।

about an hour agoDhananjay Janrao
5 अन्ना जी का लोकपाल एक कानून है बाकी कुछ नहीं लेकिन उनको सरकार कैसे चलती है 130 करोड़ का देश कैसे चलता है इस्स का ग्यान नहीं है । हमारा देश घटना से चलता है । किसी कानून से नहीं ये अन्ना जी को पेहले जानना होगा । कानून अगर बन भी गया तो उसका नतीजा जनता को ही भुगतना है । किसी नेता को नहीं , या फिर आज जो बड़े उद्योगपति है उनको क्यू की उन्होने आज इतना पैसा कमारख्खा है की उनकी 7 पुश्ते भी बैठ के खसकती है । लेकिन हमारा देश जो आज भी भुखमरी , गरीबी , जातिवाद की खाई मे पड़ा हुआ है उसे और अंधेरे मे धकेल ने की एक साजिश होराही है उसे रोकना होगा । हुमे अगर भ्रष्टाचार रोकना ही है तो उसकी जड़ पे वर करना होगा नाकी उसकी डालिया काट के अन्ना ने पेहले समाज मे जाके हर इंसान के अंदर जो भ्रष्टाचार का कीड़ा है उसे मारना होगा ।उसके लिए अन्ना ने समाज जागृति करनी चाहिए नाकी दिल्ली जैसे बड़े शहर मे उपोषण करके वाहपे लोगोकों लाके हो हल्ला करना चाहिए । क्यू की भगवान बुद्ध ने कहा है लालसा छोड़ दो। और मेरा कहना है की लालसा ही भ्रष्टाचार का मूल है । ये एक मानसिक विकार है जिसे हटाने के लिए अन्ना जी ने समाज प्रबोधन करना चाहिए । जातिवाद को नष्ट करना चाहिए । नाकी सरकार पे दबाव लाना चाहिए । अगर देश के नागरिक जातीयता से ऊपर उठगाए तो अपने आप सरकार पे दबाव अजाएगा और जनता मीसे ही अच्छेलोग चुनकर संसद मे बैठेंगे । क्यू की सरकार , न्यायपालिका , सरकारी नौकर ये सब जनता हितो है । सब लोग इंसान ही है ।हमे आज मनकी सफाई की बहुत जरूरत है नाकी सरकार की क्यू की एक सरकार जाएगी दूसरी आएगी फिर वही होगा । क्यूकी
अगर मन साफ नहीं होगा तो कोई अन्ना हो या लोकपाल इस्स देश से भ्रष्टाचार नहीं हटा सकता । मेरा सिर्फ येही कहना है अन्ना जी ने प्रेक्टिकल होने की जरूरत है नाकी लोकपाल बिल पास करके देश को और खाई मे धकेल ने की । अगर सरकार नहीं मानेगी तो अन्ना का हो हल्ला होगा और देश के दूसरे बड़े प्रश्न है वो वैसे ही रहजाएंगे । और मीडिया इनसब पे अपनी टीआरपी की रोटिया सेकेगा और सारा देश तमाशा देखेगा । मित्रो मै नहीं अन्ना के खिलाफ हु नहीं सरकार के मै तो सिर्फ उस विचार धारा के खिलाफ हु जो आज देशकोअपने एहम मुद्दोसे भटका रहा है वो है देश का मीडिया जो की राजनेता और बड़े उद्योग पती योके कब्जे मे है और देश के युवाओ को अपनी टीआरपी के लिए भटका रहा है। क्यू की देश सिर्फ बतोसे नहीं भारतीय घटना से और उसके पालन से चलता है

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