SUKH PAL DHINGAN

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Friday, July 1, 2011

मै एक किस्सा बताता हू .हमारे एक परिचित गजभिये है उसने अपने घर के सामनेवाले गेट पर गणपति कि फोटो लगाके रखी है. कुछ लोगों को बड़े होने पर या उच्च पदों पर होने पर बाबासाहेब कि फोटो लगाने में बहुत शर्म आती है. अरे भाई आप बाबासाहेब की फोटो लगाने में शर्म आती तो मत लगाओ परन्तु गणपति की तो मत लगाओ. उस गजभिये की लड़की शादी लायक थी उसके घर पे जो मेहमान आते थे वह गणपति की फोटो देखकर वापस चले जाते थे, वे समझते थे की यह अपना नहीं है. उसके बादमे उसने वह गणपति की फोटो शादी तय होने तक निकाल दी और भगवान बुद्ध की फोटो लगा दी. मेहमान लोग लड़की देखने के लिए आने लगे. शादी तय हो गईं और शादी भी हो गईं. वह बदमास ने शादी होने के बाद फिर से भगवान बुद्ध की फोटो निकाल कर गणपति की फोटो लगा दी. किसे क्या बोलोगे. फोटो मोटो लगाने से कुछ नहीं होता, या लगाओ या मत लगाओ हम जब तक बुद्ध और बाबासाहेब की विचारधाराओं को आचरण में नहीं लायेंगे तब-तक कुछ नहीं होगा. मेरा कहना है हम हमारी उर्जा ऐसी बातों पर खर्च करने से अच्छा बेहतर है की हमारी सोच को ग्लोबल बनाये.

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