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Tuesday, July 19, 2011

Abhay Kumar भारत का प्राचीन इतिहास देखा जाये तो ज्ञात होता है की आर्य लोगो ने भारत में रहने वाले मुल्नीवासी पर  आक्रमण कर उन्हें छल से युध्द में पराजित किया तथा उनका बड़ी संख्या में संहार किया ,ये आर्य उत्तर भारत से तथा खैबर दर्रे से झुण्ड बनाकर कबीलों में आये और भारत की प्राचीन द्रविड़ नागवंशी संस्कृति को न केवल नष्ट किया बल्कि उनके इतिहास का विनाश किया | इस सब के बाद भी बाबा साहेब आंबेडकर  जी  ने अपना इतिहास खोज निकाला |  मुल्नीवासी  जाती का पूर्व नाम नागवंशी या नागलोक था | क्योकि ये जाती बड़ी संख्या में नाग नदी के तट पर निवास करती थी|उनके अनेक नगर थे जब आर्यों ने भारत में पंचनदी प्रदेश में प्रवेश किया तब वह शेष ,बासुकी,ध्रतराष्ट्र ,ऐरावत,अलापत्र ,तक्षक ,काकाकोटक इत्यादी नाग्कुल के नागराजा राज्य करते थे |आर्यों द्वारा नागलोगो को युध्द में पराजित कर उनकी बस्तियों पर कब्जा कर लिया | खांडव वन जलने का मुख्य कारण यह है कि जंगलों में नाग लोग रहते थे |वे समय पर आर्यों से युध्द करते थे | तब आर्यों ने खांडव वन को जलाकर नागलोगो को नष्ट करने का लक्ष्य बनाया इस मन का समर्थन इरावती कर्वे ने अपनी पुस्तक "युगांत" में किया है |कृष्ण-अर्जुन ने तक्षक नाग का वध करने की कोशिश की लेकिन तक्षक मारा नहीं न ही अपने निवास से भागा | तक्षक ने अपने जाती पर होने वाले जुल्म के बदले में राजा परीक्षित को मर डाला | तब परीक्षित के लड़के ने नागलोगो को समूल नष्ट करने का प्रण किया | उसने यज्ञ की शुरुआत की यज्ञ में नागलोगों को पकड़-पकड़ कर आहुति देने का कार्य संपन्न किया.

 डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर कहते थे की आर्य लोगो के मन में नागलोगों के प्रति जो विड्येश भाव के पहले अनंत नमक नागवंशी योद्धा,कर्ण से मुलाकात करके युध्द में उनकी मदद करना चाहता था | लेकिन कर्ण ने इसलिए अस्विकार किया क्योंकि कर्ण आर्य था अनंत नाग यानि अनार्य था | नागवंशियों  निवास स्थान प्रमुख रूप से नागपुर था/
मुल्नीवासी नागवंशी थे इसका समर्थन डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर तथा राजाराम शास्त्री के द्वारा किया गया है | मुल्नीवासीयों  में नागपूजा और खुद के नाम के आगे नाग लिखना नागवंशी का धोतक है |  का कारण उनका वाहन था जो कि घोडो पर सवार होकर लड़ते जबकी नागलोग पैदल लड़ते थे इसलिए नाग लोगो को उत्तर से दक्षिण तक हर का सामना करना पड़ा फिर भी नाग लोगो ने यह लडाई बड़ी शूरता से लड़ी जो की आज भी जारी है|

मेरे विचार से यही वजह होगी.. की डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह के लिए नागपूर शहर को ही स्थान दिया...

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