SUKH PAL DHINGAN

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Thursday, June 16, 2011


बाबासाहाब को ५ बच्चे हुये |पहिला यशवंत दुसरा रमेश तिसरी इंदुबाई चौथा गंगाधर और पांचवा राजरत्न पर बाबासाहब का एकही लड़का जीवित बचा पाया यशवंत |बाकि के चार बच्चे वक्त ने छीन लिए |उस वक्त रमाई के मन को कितनी यातनाए हुई होगी जरा सोचकर देखो अरे तुम्हारे हमारे लिए पेट के चार बच्चे उन्होंने भुकमरी झेलकर कुर्बान कर दिए |जिस समय गंगाधर बीमार गि...रा उस समय बाबासाहब लन्दन में थे |रमाई ने बाबासाहब को समझने नाही दिया क्योकि दिन दलीतो का कभीभी ना छूटने वाले गणित को छुड़ाने में बाबासाहब व्यस्त थे |एक दिन गंगाधर का निधन हुआ रमाई रोने लगे |फिर ये सन्देश वह बाबासाहब को भेजकर कहती है |
दुःख की यह घटना साहब बता रहू हू खत से
छोटासा गंगाधर आपका गया है छोडकर
रामू सहती है घाव वक्त के
दूर देश को है वो बाप बच्चे का ||

पोछते पोछते रो रही थी रमाई यहाँ असुओ की कहानी
पढाई करने के लिए पति रमा का परदेश में था
याद करती हू साहब असुओ से भरी आँखों से
छोटासा गंगाधर आपका गया है छोड़कर
रामू सहती है घाव वक्त के
दूर देश में है वह बाप बच्चे का ||

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