यहाँ किया नहीं तुम्हारे लिए सब ||कर मत गर्व ||प्राणियों में ||१||
शारीर देकर बुद्धिमान बनाया ||धनवान बनाया ||सब में ||२||
दुनिया के कल्याण के लिए अपना शरीर को कष्ट दो ||अच्छे कर्म के लिए शारीर खर्च करो ||सत्य के लिए ||
ऐसे करने से जनम का सार्थक होगा ||आनंदी निर्मिक ||ज्योति कहे ||४||
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