Tarsem Singh Bains
BY::-->> Vinay Gautam Firozabadi .....>>>> फेसबुक पर एक ऐसा तवका है, जो राजनीति से नफरत करता है, बह राजनीति को, ना पसंद करता है ! शायद वो इस बात से अनभिज्ञ है कि, राजनीति से नफरत करने का अर्थ है कि, लोकतंत्रीय व्यवस्था से नफरत करना ! लोकतंत्रीय व्यवस्था से नफरत करने का अर्थ है, तानाशाही और सामन्ती व्यवस्था का समर्थन करना ! जिस तरह से चिकित्सीय व्यवस्था को सुचारु और प्रभावी ढ़ंग से चलाने के लिये, योग्य और मेहनती डाक्टरों की आवश्यता होती है, यात्रिक क्षेत्र को प्रभावी वनाने तथा नये - नये अविष्कारों के लिये, योग्य और मेहनती अभियंताऔ की आवश्यकता होती है ! ठीक उसी प्रकार, एक अच्छी और प्रभावी लोकतंत्रीय व्यवस्था को चलाने के लिये, ईंमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और देशभक्त राज नेताऔ की आकवश्यकता होती है ! राजनीति , लोकतंत्रीय व्यवस्था का आधार है और राजनीतिज्ञ, उस आधार के केन्द् विंदु हैं ! सफल और सुयोग्य राजनेताऔ के अभाव में एक सफल और प्रभावी लोकतंत्र की आशा करना एक कल्पना मात्र है ! @ स्वयं ' बाबा साहब डा. भीमराव अम्बडेकरजी ' कहते हैं कि, " “ राजनितिक शक्ति एक ऐसी मास्टर चाबी है , जिस के साथ हम हर प्रकार का ताला खोल सकते हैं /" @ अगर हमें एक सफल और प्रभावी लोकतंत्रीय व्यवस्था वाले देश का नागिरक वने रहना है, तो राजनीति से नफरत नही वल्कि, इसे सकारात्मक रुप से स्वीकार करना होगा ! माना कि, राजनीति में अपराधीकरण और जातीयकरण हुआ है, जिस कारण आज तक देश में कोई एक ऐसा राजनीतिज्ञ, पैदा नही हो सका, जो समस्त मानव समाज के लिये "प्रेरणा पात्र" वन सके ! @ एक लोकतंत्रीय देश का नागरिक होने के नाते, हमारा यह फर्ज वनता है कि, हम राजनीति से गंदगी को मिटा कर, स्वच्छ ओर प्रभावी लोकतंत्रीय व्यवस्था को सुचारु रुप से चलाने में अपना सहयोग प्रदान करके एक ईमानदाग नागरिक होने का परिचय दें ! .
BY::-->> Vinay Gautam Firozabadi .....>>>> फेसबुक पर एक ऐसा तवका है, जो राजनीति से नफरत करता है, बह राजनीति को, ना पसंद करता है ! शायद वो इस बात से अनभिज्ञ है कि, राजनीति से नफरत करने का अर्थ है कि, लोकतंत्रीय व्यवस्था से नफरत करना ! लोकतंत्रीय व्यवस्था से नफरत करने का अर्थ है, तानाशाही और सामन्ती व्यवस्था का समर्थन करना ! जिस तरह से चिकित्सीय व्यवस्था को सुचारु और प्रभावी ढ़ंग से चलाने के लिये, योग्य और मेहनती डाक्टरों की आवश्यता होती है, यात्रिक क्षेत्र को प्रभावी वनाने तथा नये - नये अविष्कारों के लिये, योग्य और मेहनती अभियंताऔ की आवश्यकता होती है ! ठीक उसी प्रकार, एक अच्छी और प्रभावी लोकतंत्रीय व्यवस्था को चलाने के लिये, ईंमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और देशभक्त राज नेताऔ की आकवश्यकता होती है ! राजनीति , लोकतंत्रीय व्यवस्था का आधार है और राजनीतिज्ञ, उस आधार के केन्द् विंदु हैं ! सफल और सुयोग्य राजनेताऔ के अभाव में एक सफल और प्रभावी लोकतंत्र की आशा करना एक कल्पना मात्र है ! @ स्वयं ' बाबा साहब डा. भीमराव अम्बडेकरजी ' कहते हैं कि, " “ राजनितिक शक्ति एक ऐसी मास्टर चाबी है , जिस के साथ हम हर प्रकार का ताला खोल सकते हैं /" @ अगर हमें एक सफल और प्रभावी लोकतंत्रीय व्यवस्था वाले देश का नागिरक वने रहना है, तो राजनीति से नफरत नही वल्कि, इसे सकारात्मक रुप से स्वीकार करना होगा ! माना कि, राजनीति में अपराधीकरण और जातीयकरण हुआ है, जिस कारण आज तक देश में कोई एक ऐसा राजनीतिज्ञ, पैदा नही हो सका, जो समस्त मानव समाज के लिये "प्रेरणा पात्र" वन सके ! @ एक लोकतंत्रीय देश का नागरिक होने के नाते, हमारा यह फर्ज वनता है कि, हम राजनीति से गंदगी को मिटा कर, स्वच्छ ओर प्रभावी लोकतंत्रीय व्यवस्था को सुचारु रुप से चलाने में अपना सहयोग प्रदान करके एक ईमानदाग नागरिक होने का परिचय दें ! .
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