राम की कहानी, काग भुसंडी की जुबानी...!!!
by Satyendra Humanist on Thursday, December 29, 2011 at 11:19pm
आज स्टोरी के लिए, मैं एक गाँव में गया...काम ख़त्म कर लौट ही रहे थे कि जल-पान के लिए, सड़क के किनारे वाले आश्रम में घुस लिए...वहां कबीरदास जी के भक्त मिल गये...चर्चा का विषय बना धर्म...गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और ज्वाला प्रसाद द्वारा लिखित रामायण, केंद्र बिंदु बनें...उन्होंने राम की कहानी सुनाई...सच कहता हूँ, मेरा दिमाग ठनक गया और उनके तर्क सही लगे...आप भी सुनिए...राजा दशरथ, ससुराल से केकैयी को लेकर लौट रहा था...राजा बली का राज्य बीच में पड़ा...बली ने दशरथ को रोक लिया और दो बातें सामने रखीं...हे ! दशरथ, या तो तू अपनी पत्नी को यहाँ छोड़ जा...या फिर तेरा यह मुकुट छोड़ जा...दशरथ क्या करता...अगर वह पत्नी को छोड़कर जाता तो लोगों को क्या जवाब देता...अतः वह मुकुट बली को देकर चला आया...यह बात सिर्फ दशरथ और केकैयी के बीच ही रही, एक राज़ के रूप में...समय के गुजरने के साथ ही सबके लाडले एवं दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम के राज्याभिषेक की बारी आई...केकैयी ने दशरथ को कहा कि राज्याभिषेक के लिए मुकुट की आवश्यकता है...तब लोक-लाज बचाने के लिए दशरथ ने राम और लक्ष्मण को मुकुट वापस लाने के लिए पम्पापुर भेजा और केकैयी ने वनवास भेजने की कहानी बनाई...इस दौरान राज्य का काम-काज देखने के लिए भरत को उत्तरदायित्व सौंपा गया...जिसने की बिना मुकुट के राज़ चलाया...भरत ने सबको यह बोला कि मैं मुकुट नहीं पहनूंगा...उस पर बड़े भैया राम का अधिकार है, जबकि मुकुट तो था ही नहीं...मुकुट कि खोज में निकले राम-लक्ष्मण ने बली के भाई सुग्रीव से दशरथ के मुकुट के बदले बली के मुकुट का समझौता किया...अब कहानी में रावण जी का प्रवेश होता है...रावण, बली से दशरथ का मुकुट ले गया...अतः सीता के अपहरण की कहानी बनानी पढ़ी, ताकि लोगों को जवाब दे सकें कि रावण से युद्ध क्यूँ किया...सैंकड़ों-लाखों लोगों की मदद से राम-लक्ष्मण, रावण का वध कर आखिरकार मुकुट ले आते हैं...और खुशियों का पर्व मनाया जाता है...किन्तु लोग सीता को लेकर उंगली उठाने लगते हैं, तो राम उसका यौन-परिक्षण अग्नि के माध्यम से करवाता है, जिसमें सीता सफल हो जाती है...चूँकि काफी लम्बे समय के बाद राम मुकुट लेकर लौटा था, अतः राम, राज्य के कार्यों में बहुत ही व्यस्त हो जाता है, वह सीता के साथ शारीरिक-सम्बन्ध भी नहीं बना पाता है...एक दिन राम को पता चलता है कि सीता गर्भवती है...तब राम, सीता को गर्भावस्था में अकेला छोड़ देता है...और रावण के राज्य में सीता के रहने वाली लोगों कि आपत्ति को कारण बताता है...सीता, वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगती है...और एक बच्चे को जन्म देती है...लक्ष्मण, सीता से मिलने जाता है...सीता को नग्न अवस्था में स्नान करते हुए देख लेता है और जिसका परिणाम एक अन्य बच्चे के रूप में प्राप्त होता है...अब सीता के दो बच्चे हैं...लव और कुश...लोक-लाज से बचने के लिए बाद में जिन्हें, जुड़वां बताकर राम के पुत्र घोषित किया जाता है...!!!
ये सब सुनकर, मैंने उन कबीर-भक्तों से प्रश्न किया कि ये सब बात कैसे पता चलीं...???
उन्होंने बताया कि...काग भुसंडी नाम का एक कौआ था, जो एक मात्र ऐसा पक्षी है जिसने चारों वेद सुने हैं...काग-भुसंडी ये सारी बातें गरुड़ को बताता है...जो कि गरुड़ पुराण में भी दर्ज हैं...!!!
- Satyendra Humanist (पत्रकार)
by Satyendra Humanist on Thursday, December 29, 2011 at 11:19pm
आज स्टोरी के लिए, मैं एक गाँव में गया...काम ख़त्म कर लौट ही रहे थे कि जल-पान के लिए, सड़क के किनारे वाले आश्रम में घुस लिए...वहां कबीरदास जी के भक्त मिल गये...चर्चा का विषय बना धर्म...गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और ज्वाला प्रसाद द्वारा लिखित रामायण, केंद्र बिंदु बनें...उन्होंने राम की कहानी सुनाई...सच कहता हूँ, मेरा दिमाग ठनक गया और उनके तर्क सही लगे...आप भी सुनिए...राजा दशरथ, ससुराल से केकैयी को लेकर लौट रहा था...राजा बली का राज्य बीच में पड़ा...बली ने दशरथ को रोक लिया और दो बातें सामने रखीं...हे ! दशरथ, या तो तू अपनी पत्नी को यहाँ छोड़ जा...या फिर तेरा यह मुकुट छोड़ जा...दशरथ क्या करता...अगर वह पत्नी को छोड़कर जाता तो लोगों को क्या जवाब देता...अतः वह मुकुट बली को देकर चला आया...यह बात सिर्फ दशरथ और केकैयी के बीच ही रही, एक राज़ के रूप में...समय के गुजरने के साथ ही सबके लाडले एवं दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम के राज्याभिषेक की बारी आई...केकैयी ने दशरथ को कहा कि राज्याभिषेक के लिए मुकुट की आवश्यकता है...तब लोक-लाज बचाने के लिए दशरथ ने राम और लक्ष्मण को मुकुट वापस लाने के लिए पम्पापुर भेजा और केकैयी ने वनवास भेजने की कहानी बनाई...इस दौरान राज्य का काम-काज देखने के लिए भरत को उत्तरदायित्व सौंपा गया...जिसने की बिना मुकुट के राज़ चलाया...भरत ने सबको यह बोला कि मैं मुकुट नहीं पहनूंगा...उस पर बड़े भैया राम का अधिकार है, जबकि मुकुट तो था ही नहीं...मुकुट कि खोज में निकले राम-लक्ष्मण ने बली के भाई सुग्रीव से दशरथ के मुकुट के बदले बली के मुकुट का समझौता किया...अब कहानी में रावण जी का प्रवेश होता है...रावण, बली से दशरथ का मुकुट ले गया...अतः सीता के अपहरण की कहानी बनानी पढ़ी, ताकि लोगों को जवाब दे सकें कि रावण से युद्ध क्यूँ किया...सैंकड़ों-लाखों लोगों की मदद से राम-लक्ष्मण, रावण का वध कर आखिरकार मुकुट ले आते हैं...और खुशियों का पर्व मनाया जाता है...किन्तु लोग सीता को लेकर उंगली उठाने लगते हैं, तो राम उसका यौन-परिक्षण अग्नि के माध्यम से करवाता है, जिसमें सीता सफल हो जाती है...चूँकि काफी लम्बे समय के बाद राम मुकुट लेकर लौटा था, अतः राम, राज्य के कार्यों में बहुत ही व्यस्त हो जाता है, वह सीता के साथ शारीरिक-सम्बन्ध भी नहीं बना पाता है...एक दिन राम को पता चलता है कि सीता गर्भवती है...तब राम, सीता को गर्भावस्था में अकेला छोड़ देता है...और रावण के राज्य में सीता के रहने वाली लोगों कि आपत्ति को कारण बताता है...सीता, वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगती है...और एक बच्चे को जन्म देती है...लक्ष्मण, सीता से मिलने जाता है...सीता को नग्न अवस्था में स्नान करते हुए देख लेता है और जिसका परिणाम एक अन्य बच्चे के रूप में प्राप्त होता है...अब सीता के दो बच्चे हैं...लव और कुश...लोक-लाज से बचने के लिए बाद में जिन्हें, जुड़वां बताकर राम के पुत्र घोषित किया जाता है...!!!
ये सब सुनकर, मैंने उन कबीर-भक्तों से प्रश्न किया कि ये सब बात कैसे पता चलीं...???
उन्होंने बताया कि...काग भुसंडी नाम का एक कौआ था, जो एक मात्र ऐसा पक्षी है जिसने चारों वेद सुने हैं...काग-भुसंडी ये सारी बातें गरुड़ को बताता है...जो कि गरुड़ पुराण में भी दर्ज हैं...!!!
- Satyendra Humanist (पत्रकार)
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