ग्रुप का उद्देश्य आदर्श मानवीय मूल्यों की स्थापना !
सामाजिक समरसता .....
ज्ञान विज्ञानं का केंद्र
जहाँ चहुं और मानवीय मूल्यों का हवास हो रहा .. पतन हो रहा ...हमारा इस दिशा में एक सकारात्मक कदम ..
सामाजिक समरसता भारतीय संस्कृति की आत्मा है। धर्म सापेक्षीकरण, धर्म निरपेक्षीकरण, सर्वधर्म समभाव, मानवतावाद, बहुजनहिताय-बहुजनसुखाय आदि अवधारणाएँ सामाजिक समरसता की पोषक व परिणाम रही हैं। विविधता में एकता की भावना समरसता का ही प्रतिनिधित्व करती है। संत, साहित्यकार, समाजवैज्ञानिक आदि सभी सामाजिक व्यवस्था एवं प्रगति हेतु - सामाजिक संगठन की स्थिरता हेतु सामाजिक समरसता की अपेक्षा करते रहे हैं। मानव संगठित हों, रागद्वेष, बैरभाव को त्यागकर परस्पर सहयोगी हों, समाज द्वारा निर्धारित कर्तव्यों - प्रस्थिति एवं भूमिका के अनुरूप कर्तव्यपालन करते हुए समृद्धि एवं समानता को प्राप्त करें; उनके चिन्तन उद्देश्य एवं भावनाओं में समरूपता हो साथ ही समाजकल्याण - सबके सुख के लिए प्रयत्नशील हों - समरसता की आधारभूमि के उर्वरक तत्त्व रहे हैं। ..
अंत में सभी सद्श्य इस बात का ध्यान रखे अपनी बाते सविन्धानिक और संसदीय रखे |कोई ऐसी बाते ना लिखे जिससे मनभेद हो ...........धन्यवाद ........
सामाजिक समरसता .....
ज्ञान विज्ञानं का केंद्र
जहाँ चहुं और मानवीय मूल्यों का हवास हो रहा .. पतन हो रहा ...हमारा इस दिशा में एक सकारात्मक कदम ..
सामाजिक समरसता भारतीय संस्कृति की आत्मा है। धर्म सापेक्षीकरण, धर्म निरपेक्षीकरण, सर्वधर्म समभाव, मानवतावाद, बहुजनहिताय-बहुजनसुखाय आदि अवधारणाएँ सामाजिक समरसता की पोषक व परिणाम रही हैं। विविधता में एकता की भावना समरसता का ही प्रतिनिधित्व करती है। संत, साहित्यकार, समाजवैज्ञानिक आदि सभी सामाजिक व्यवस्था एवं प्रगति हेतु - सामाजिक संगठन की स्थिरता हेतु सामाजिक समरसता की अपेक्षा करते रहे हैं। मानव संगठित हों, रागद्वेष, बैरभाव को त्यागकर परस्पर सहयोगी हों, समाज द्वारा निर्धारित कर्तव्यों - प्रस्थिति एवं भूमिका के अनुरूप कर्तव्यपालन करते हुए समृद्धि एवं समानता को प्राप्त करें; उनके चिन्तन उद्देश्य एवं भावनाओं में समरूपता हो साथ ही समाजकल्याण - सबके सुख के लिए प्रयत्नशील हों - समरसता की आधारभूमि के उर्वरक तत्त्व रहे हैं। ..
अंत में सभी सद्श्य इस बात का ध्यान रखे अपनी बाते सविन्धानिक और संसदीय रखे |कोई ऐसी बाते ना लिखे जिससे मनभेद हो ...........धन्यवाद ........
No comments:
Post a Comment